
धराली आपदा के बाद सीमांत क्षेत्र के आठ गांवों में ग्रामीणों की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई है। गंगोत्री हाईवे बड़े वाहनों के लिए नहीं खुलने से आपदाग्रस्त क्षेत्र के लोगों की दिक्कतें बढ़ती जा रही है। इससे गांवों में रसोई गैस सहित रसद सामग्री का संकट गहराने लगा है।
धराली के खीर गंगा और तेलगाड में आई प्रलयकारी बाढ़ के 20 दिन बाद सीमांत क्षेत्र में सुक्की, धराली, मुखबा, हर्षिल, जसपुर, पुराली, झाला और बगोरी गांव के ग्रामीणों की दिक्कतें कम नहीं हुई है। खीर गंगा और तेलगाड के जल प्रवाह अभी लोगों को डरा रहा है। बीते रविवार रात को तेलगाड के उफान ने हर्षिल के लोगों को डरा दिया। इसके बढ़ते जल प्रवाह से लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए।
वहीं गंगोत्री हाईवे बड़े वाहनों के लिए नहीं खुलने के कारण सीमांत गांवों के लोगों के सामने रसद सामग्री का संकट भी गहराने लगा है। हालांकि जिला प्रशासन ने सीमांत गांवों में रसद वितरण तो करवाया, लेकिन इतना रसद बड़े परिवार के लिए लंबे समय तक चलाना आवश्यकता से कम है।
हर्षिल के पूर्व प्रधान दिनेश रावत कहा कि हाईवे बंद होने से सीमांत क्षेत्र के आठ गांवों में रसोई गैस और रसद सामग्री का संकट गहरा रहा है। प्रशासन ने ग्रामीणों को रसद सामग्री बांटी है, वह लंबे समय के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने जिला प्रशासन से जल्द बड़े वाहनों की आवाजाही के लिए हाईवे खोलने की मांग की है।