त्रि-सेवा अभ्यास ‘त्रिशूल’: सेना, नौसेना और वायु सेना का सामूहिक प्रशिक्षण
भारत की तीनों सेनाओं का त्रि-सेवा महा-अभ्यास ‘त्रिशूल’ शुरू हो गया है, जहां थार के रेगिस्तान से लेकर सौराष्ट्र तट तक जमीन, समुद्र और हवा में शक्ति और समन्वय का परीक्षण किया जा रहा है। इस बात की जानकारी शनिवार को रक्षा मंत्रालय ने दी। मंत्रालय ने बताया कि तीनों सेनाओं के संयुक्त त्रिशूल युद्धाभ्यास का अंतिम चरण 13 नवंबर को गुजरात के सौराष्ट्र तट पर आयोजित होगा। इसके साथ ही 30 अक्तूबर से जारी इस युद्धाभ्यास का समापन हो जाएगा। आखिरी चरण में तीनों सेनाएं एक संयुक्त एम्फीबियस अभ्यास का प्रदर्शन करेंगी।
राजस्थान और गुजरात से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जारी त्रिशूल अभ्यास का मकसद जमीन, हवा, समुद्र, डिजिटल व साइबर डोमेन में देश के सुरक्षा तंत्र के बीच ऑपरेशनल तालमेल को परखना है। सौराष्ट्र में होने वाले आयोजन में सैनिक समुद्री मार्ग से तटीय इलाके में उतरकर वहां नियंत्रण स्थापित करने का पूर्वाभ्यास करेंगे। वायुसेना के विमान और हेलीकॉप्टर ऊपर से कवर देंगे। हेलीकॉप्टरों से सैनिकों और रसद सामग्री की आवाजाही का भी अभ्यास होगा। वास्तविक युद्ध में कुछ इसी अंदाज में सेना दुश्मन के रणनीतिक बंदरगाहों या द्वीपों पर कब्जा करती है। इससे पहले त्रिशूल फ्रेमवर्क अंतर्गत अन्य अभ्यास भी किए गए।
अभ्यास में साउदर्न कमांड की भागेदारी
रक्षा मंत्रालय के अनुसार साउदर्न कमांड इस अभ्यास में सक्रिय भाग ले रही है। इसका मकसद भूमि, समुद्र और हवा में पूर्ण एकीकरण को परखना है और ‘साझेदारी, आत्मनिर्भरता और नवाचार’ के सिद्धांत को व्यवहार में लाना है। साथ ही थार रेगिस्तान में, साउदर्न कमांड की इकाइयां ‘मरुज्वाला’ और ‘अखंड प्रहार’ अभ्यासों के माध्यम से संयुक्त संचालन, गतिशीलता और आग की शक्ति के एकीकरण का परीक्षण कर रही हैं। ये अभ्यास यथार्थ परिस्थितियों में सेना की युद्ध क्षमता को परखने में मदद करते हैं।
कच्छ में कैसी है तैयारी? ये भी समझिए
अब बात अगर कच्छ की करें तो कच्छ क्षेत्र में, सेना, नौसेना, वायु सेना, तटरक्षक और सीमा सुरक्षा बल मिलकर नागरिक प्रशासन के साथ समन्वय करते हुए संपूर्ण संयुक्त संचालन का अभ्यास कर रहे हैं। यह दिखाता है कि भारतीय सशस्त्र बल आपदा या युद्ध की स्थिति में नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर तेजी से काम कर सकते हैं।
अभ्यास का अंतिम चरण सौराष्ट्र में
गौरतलब है कि इस महा-अभ्यास का अंतिम चरण सौराष्ट्र तट पर होगा, जिसमें सैन्य-जल आधारित संयुक्त अभियान का आयोजन किया जाएगा। इसमें समुद्र तट पर उतराई (बीच लैंडिंग) के अभ्यास शामिल हैं। यह चरण भूमि, समुद्र और हवा में पूर्ण एकीकरण और बहु-क्षेत्रीय सामरिक क्षमताओं का परीक्षण करेगा। इसके अलावा अंत में रक्षा मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि अभ्यास ‘त्रिशूल’ भारतीय सेना के ‘दशक परिवर्तन’ योजना के तहत भी एक परीक्षण मंच का काम करता है। भारतीय सेना लगातार विकसित होकर भविष्य की चुनौतियों से निपटने और पूर्ण युद्ध क्षमता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

