निमोनिया के बाद करें ये योगासन, मिलेगा जबरदस्त फायदा
हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में निमोनिया जैसी गंभीर श्वसन बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फैल सकता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को तेज बुखार, खांसी, सांस फूलना और सीने में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं।
यह बीमारी बच्चों और बुजुर्गों में सबसे तेजी से फैलने वाली संक्रमणजनित बीमारियों में से एक है। ठंड के मौसम में इसका खतरा और बढ़ जाता है, ऐसे में योगासन फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने और सांस लेने की प्रक्रिया को मजबूत करने में बेहद मददगार साबित हो सकते हैं। योग और प्राणायाम फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाकर उन्हें स्वस्थ बनाते हैं और संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ाते हैं।
निमोनिया से उबरने में सहायक योगासन
भुजंगासन
यह आसन फेफड़ों को फैलाकर उनमें ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है। इससे सांस लेना आसान होता है और सीने का जकड़न कम होती है। इसके अभ्यास के लिए पेट के बल लेटें, हथेलियों को कंधों के पास रखें और धीरे-धीरे ऊपरी शरीर को ऊपर उठाएं।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
फेफड़ों को मजबूत करने और सांस की नलियों को शुद्ध रखने के लिए सबसे प्रभावी प्राणायाम। इसे रोजाना 10 मिनट करने से श्वसन प्रणाली सक्रिय रहती है। अभ्यास के लिए दाएं नथुने को बंद कर बाएं से सांस लें, फिर बाएं बंद कर दाएं से छोड़ें।
कपालभाति प्राणायाम
शरीर से विषैले तत्व निकालने और फेफड़ों की सफाई में मदद करता है। यह श्वसन तंत्र को मजबूत बनाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास के लिए सीधे बैठें। गहरी सांस लें और पेट को अंदर की ओर खींचते हुए सांस को जोर से बाहर छोड़ें। यह प्राणासाम श्वसन तंत्र की सफाई करता है, टॉक्सिन्स निकालता है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
मत्स्यासन
इस आसन से छाती का विस्तार होता है और फेफड़ों में रक्त संचार बढ़ता है। निमोनिया के बाद फेफड़ों की रिकवरी में यह बहुत लाभदायक है। मत्स्यासन के अभ्यास के लिए पद्मासन में बैठकर धीरे धीरे पीछे झुकें और पीठ के बल लेट जाएं। अपने दाएं हाथ से बाएं पैर और बाएं हाथ से दाएं पैर को पकड़ें। कोहनियों को जमीन पर टिकाएं और घुटनों को जमीन से सटाएं। सांस लेते समय सिर को पीछे की ओर उठाएं। इस अवस्था में धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। फिर शुरूआती अवस्था में आ जाएं।
भ्रामरी प्राणायाम
यह मन को शांत करता है और श्वसन की रफ्तार को नियंत्रित करता है, जिससे फेफड़ों पर दबाव कम होता है। ये आसन एंग्जाइटी और डिप्रेशन से बचाव भी करता है। इस प्राणायाम के अभ्यास के लिए आंखें बंद करें, अंगूठों से कान बंद करें, नाक से सांस लेकर ‘म्म’ की गूंज करें।



